Hindi movie villains जिन्हे हम आज भी देखना पसंद करते हैं

आज कुछ नया करने की सोच रहा था तो लगा की क्यों न Hindi movie villains की एक लिस्ट ही तैयार कर के देखी जाए। बीते कुछ दिन इतने तनाव पूर्ण रहे हैं की क्या बताऊँ। कोरोना के डरा देने वाले दिनों दिन बढ़ते आंकड़ों से लेकर भारत-चीन सीमा विवाद तक सब कुछ बुरा होता चला जा रहा है। एक तरफ फिल्म जगत की बात करूँ तो हमने इस साल कुछ ऐसे कलाकारों को खोया है जिनकी जगह शायद ही कोई ले पाए। मुझे तो शायद उनका नाम भी बताने की ज़रुरत न पड़े। 

वहीं दूसरी तरफ सुशांत सिंह राजपूत के अचानक इस तरह चले जाने के बाद से ही बहुत दिन से सोशल मीडिया पर बॉलीवुड की जड़ो को कमज़ोर बनाता भाई भतीजा वाद ही छाया हुआ है।जिस से माहौल बहुत ही ज़्यादा नकारात्मक हो चुका है। आये दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं। इन दिनों बड़े बड़े लोग एक दूसरे पर छींटा कशी करते हुए देखे जा सकते हैं। ऐसा महसूस होता है की मानो एक नकारात्मक ऊर्जा ने हमें चारो और से घेर रखा हो। बस इसी नकारात्मक ऊर्जा ने मुझे Hindi movie villains  की एक लिस्ट तैयार करने के लिए प्रेरित किया।

सुशांत के जाने के बाद से तो मानो लोगो के गुस्से का लावा सा फूट पड़ा है। बरसो से मन में दबा रखा सैलाब अब लोगों से संभाले नहीं संभल रहा। फैंस ने रातो रात कईं लोगो को अर्श से फर्श पर ला गेरा है और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री का विलेन घोषित कर दिया है। जैसे जैसे सुशांत के केस को सुलझाने के लिए पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ रही है वैसे वैसे आये दिन नए नए नाम इस लिस्ट में जुड़ते चले जा रहे हैं। बड़ा निर्माता हो , निर्देशक हो या फिर कोई बड़ा एक्टर फैंस सोशल मीडिया पर सबको जमकर ट्रोल कर रहे हैं। सही कहा था किसी ने की ये साल हम सभी की ज़िन्दगी में एक विलेन बनकर आया है।

इस बार मै आपके सामने Hindi movie villains की एक ऐसे लिस्ट लेकर आया हूँ  जिसमे हम कुछ ऐसे ऐतिहासिक किरदारों को याद करेंगे जिन्होंने न सिर्फ फ़िल्मी पर्दे पर अपनी दमदार एक्टिंग की मदद से फिल्म के हीरोज से ज़्यादा वाह वाही बटोरी बल्कि अपने स्क्रीन अपीयरेंस से हमेशा हमेशा के लिए दर्शकों के दिल में एक ख़ास जगह बना ली।

चाहे अच्छे हो या बुरे लेकिन कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो हमारे दिलो दिमाग पर एक अमिट सी छाप छोड़ जाते हैं। आज हम बात करेंगे बॉलीवुड के पाँच ऐसे विलेन्स की जिन्हे हमने खूब कोसा और गालियाँ दी। जिनके पिटने पर हमने खूब तालियाँ बजायी और तो और कईं महात्माओं ने तो हँसा हँसा कर हमारे पेट में दर्द करवा दिया। और वैसे भी हीरो को हीरो बनाता कौन है ?? या सीधा सीधा कहूँ तो विलेन है तभी हीरो है।

लेकिन सच तो ये है की इन किरदारों में अपने अभिनय से जान फूँक कर इन फनकारों ने इन किरदारों को हिंदी फिल्म इतिहास के पन्नो में अमर कर दिया। यकीन मानिये एक विलेन बनना जितना आसान दिखता है उतना ही ज़्यादा मुश्किल है। एक अच्छे विलेन की खास बात यही है की जब आप फिल्म में उसे देख रहे हो तो वो आपको अपने आप से नफरत करवाने में कामयाब हो जाए। और सच कहूँ तो यही खूबी तो एक कलाकार की असली पहचान है।

इंडस्ट्री ने बीते कईं दशकों में बड़े बड़े विलेन्स देखें हैं जैसे गब्बर, मोगाम्बो, शाकाल, डॉ डैंग, केसरिया विलायती इत्यादि और शायद बिना इनके कोई लिस्ट मायने भी नहीं रखती। और वैसे भी आपने इन सभी आइकोनिक विलेन्स को लगभग हर लिस्ट की शोभा बढ़ाते हुए देखा ही होगा।  इन सभी विलेन्स का ज़िक्र मै कभी किसी दूसरे पोस्ट मे करूँगा और मेरा मानना ये भी है की इन बेहतरीन किरदारों के अलावा भी इंडस्ट्री में बहुत अच्छे अच्छे किरदारों को बखूबी निभाया गया है तो मुझे उनकी तरफ भी आप सबका ध्यान खींचना चाहिए। बाकी ये लिस्ट पूरी तरह से मेरे विचारो और अनुभवों पर आधारित है जो की किसी और के विचारो से बिलकुल अलग हो सकते हैं।

5. शक्ति कपूर (अंदाज़ अपना अपना-1994)

इस लिस्ट की शुरुआत सबसे नीचे से शुरू करते हुए चलिए आगे बढ़ते हैं। विलेन शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में एक अजीब सी नकारात्मक छवि बन जाती है। सच कहूँ तो विलेन शब्द सुनकर आँखें बंद करता हूँ तो अमरीश पूरी जी का चेहरा ही सामने आता है। और बात अगर Hindi movie villains की हो तो शक्ति कपूर का नाम भला कौन भूल सकता है। हमारी लिस्ट का ये विलेन अपने बुरे व्यवहार के लिए नहीं बल्कि अपनी बेवकूफी भरी हरकतों और अपनी फनी डायलाग डिलीवरी के लिए याद किया जाता है। शायद ये ऐसा पहला विलेन होगा जिसे आज भी देखने भर से ही आप अपनी हँसी रोक नहीं पाते होंगे।

90 के दशक में जन्मे लोग इस किरदार से बहुत अच्छे से वाकिफ हैं और मज़ेदार बात ये है की इनका लगभग हर डायलाग हम सभी को बहुत अच्छे से याद है, जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ हम सबके चहेते फिल्म अंदाज़ अपना अपना में हँसा हँसा कर पेट दर्द करवा देने वाले क्राइम मास्टर गोगो की। आज भी मुझे ये सोच कर हैरानी होती है की उस समय में इतने कम बजट के साथ भी राजकुमार संतोषी इतनी बेहतरीन फिल्म बना पाने में कैसे कामयाब हो पाए। ये पहली ऐसी कॉमेडी फिल्म है जिसे मैं अपनी पूरी फैमिली के साथ बैठकर एन्जॉय करता हूँ।

 Hindi movie villains जिन्हे हम आज भी देखना पसंद करते हैं
इमेज सोर्स: (फिल्म अंदाज़ अपना अपना में शक्ति कपूर क्राइम मास्टर गोगो की भूमिका में)
कभी कभी तो बहुत दुःख होता है की आजकल कॉमेडी बस अश्लील चुटकुलों का दूसरा नाम बनकर रह गयी है। फिल्म में सिचुएशनल और फिजिकल कॉमेडी का प्रयोग इतने बेहतरीन तरीके से किया गया है की आज भी ये फिल्म दर्शकों को लिटा लिटा कर हंसाने का दम रखती है। फिल्म का चाहे जो भी हिस्सा हो आप पूरी फिल्म के दौरान बस हँसते ही चले जाते हैं।

फिल्म में वैसे तो अमर और प्रेम के अलावा और भी कईं किरदार हैं जैसे की भल्ला, रोबर्ट, तेजा इत्यादि जिनके बारे में मैं किसी और दिन किसी दूसरे पोस्ट में बात करूँगा लेकिन फिल्म में हमें क्राइम मास्टर गोगो के रूप में एक प्यारा सा विलेन भी देखने को मिला। पहनावे से लेकर डायलॉग्स तक शक्ति कपूर अपनी पूरी लय में इस किरदार को बखूबी निभाया। आज भी आप क्राइम मास्टर गोगो के किरदार को देखेंगे तो आप कहेंगे की शायद शक्ति कपूर के अलावा ये किरदार कोई और अच्छे से निभा नहीं पाता।

4. कन्हैयालाल (मदर इंडिया-1957 )

Hindi movie villains की इस फेहरिस्त में जो अगला किरदार है भले ही दिखने में वो दुबला पतला और दुर्बल लगे लेकिन उसकी यातनाएँ किसी बड़े विलेन से कम नहीं हैं। जी हाँ,  मैं ऐसे ही एक किरदार का ज़िक्र करने जा रहा हूँ जिसे आप बरसो से देखते और कोसते आये हैं। भारतीय सिनेमा में कुछ किरदार ऐसे भी हुए हैं जो शायद अपनी दुबली पतली काया के रहते एक नज़र में देखने पर आपको विलेन न लगें लेकिन अपने कुकर्मो की वजह से फिल्म के दौरान अपने प्रति गुस्से से भर देंगे और वो भी इतना की आप उनसे नफरत करने लग जाए। ऐसा ही एक ऐतिहासिक किरदार निभाया था कन्हैयालाल जी ने फिल्म मदर इंडिया में।

अच्छा सच सच बताइये, अगर आप लोगो ने मदर इंडिया फिल्म देखी है तो आप में से कितने लोग ऐसे हैं जिसे कन्हैयालाल द्वारा निभाए गए सुखीलाला उर्फ़ "लाला" का किरदार बहुत ही घृण्डात्मक लगा था। भई आप लोगो का तो मैं कह नहीं सकता लेकिन आज भी जब मैं मदर इंडिया फिल्म देखता हूँ तो ये किरदार मेरे रोम रोम में गुस्सा भर देता है। आप में से जो लोग शायद नहीं जानते तो उनकी जानकारी के लिए मै बता दूँ की मदर इंडिया साल 1957 में बनी थी।

 Hindi movie villains जिन्हे हम आज भी देखना पसंद करते हैं
इमेज सोर्स: फिल्म मदर इंडिया (बाएँ स्वर्गीय कन्हैयालाल जी सुखीलाला के किरदार में एवं दायें स्वर्गीय नरगिस जी राधा के किरदार में)
ये फिल्म भारत की ओर से ऑस्कर में जाने वाली पहली फिल्म थी और अगर इस फिल्म को बेहतरीन होने का दर्जा दिया गया है तो उसमे कन्हैया लाल जी द्वारा निभाए गए सुखीलाला के आइकोनिक किरदार का बहुत ही अहम योगदान है। फिल्म में उन्होंने एक सूद खोर का किरदार निभाया है जो अपने पास कुछ न कुछ गिरवी रख कर गरीब किसानों को भारी ब्याज़ दरों पर क़र्ज़ देता है और क़र्ज़ न चुका पाने की हालत में उनकी गिरवी रखी गयी चीज़ों पर कब्ज़ा कर लेता है या ज़मीन हथिया कर उन पर अत्याचार करता है।

इस फिल्म में सुखीलाला का किरदार बहुत ही चपल, चालाक एवं धूर्त दिखाया गया है, यहाँ तक की आप उसके बोलने के तरीके से लेकर उसकी बॉडी लैंग्वेज तक से ही उनकी मेहनत का अंदाजा लगा लेंगे । फिल्म में ऐसे बहुत से सीन दिखाए गए हैं जब आपको "लाला" से नफरत होने लगती है। ऐसा ही एक सीन जब फिल्म की नायिका (नरगिस जी ) के पास अपने बच्चो को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं होता और वह "लाला" से मदद मांगने आती हैं तब "लाला" उनकी इज़्ज़त पर हाथ डालने की कोशिश करता है। और लाला का वो फेमस डायलाग कौन भूल सकता है भला "अरे ओ राधा रानी" ....

3. आशुतोष राणा (संघर्ष -1999)

हमारी लिस्ट में अगला जो नाम है वो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। जितनी बेहतरीन इनकी अदाकारी है उतना ही बेहतरीन इनका स्क्रीन अपीयरेंस भी है। आज भी जब मैं संघर्ष मूवी देखता हूँ तो इनकी परफॉरमेंस से स्तब्ध सा रह जाता हूँ। बचपन में मैं कभी इस फिल्म को अकेले देखने की हिम्मत नहीं कर पाया और आज भी जब मैं इस फिल्म को देखता हूँ तो आशुतोष राणा द्वारा निभाए गए लज्जा शंकर पांडेय के किरदार को देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आशुतोष राणा का सम्बन्ध मध्य प्रदेश से है और इन्होने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अपने एक्टिंग करियर की सीढ़ी की ओर पहला कदम रखा।
 Hindi movie villains जिन्हे हम आज भी देखना पसंद करते हैं
इमेज सोर्स : गूगल (लज्जा शंकर पाण्डेय के किरदार में आशुतोष राणा)
इसे आप ईश्वर का चमत्कार और आशुतोष की मेहनत ही कह सकते हैं की नर्म और शालीन स्वाभाव के आशुतोष किसी भी प्रकार का नेगेटिव रोल बड़े ही बेहतरीन तरीके से निभाते हैं। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की आशुतोष दो बार फिल्मफेर अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं और वो भी सिर्फ नेगेटिव किरदार निभाने के लिए। अपनी पहली ही फिल्म दुश्मन (1999) से फिल्मफेर अवार्ड अपने नाम कर के आशुतोष राणा ने फिल्म जगत में अपने टैलेंट का लोहा मनवा लिया और साबित कर दिया की वो एक लम्बी रेस के घोड़े हैं। मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल था की मै दुश्मन और संघर्ष में निभाए गए उनके दोनों किरदारों में से किसी एक को चुन कर इस लिस्ट का हिस्सा बनाऊँ। फिर भी संघर्ष फिल्म के लज्जा शंकर पाण्डेय के किरदार को इस लिस्ट में शामिल करने के पीछे एक ही कारण रहा और वो कारण था इस किरदार का पागलपन। Hindi movie villains की इस लिस्ट को मै आशुतोष राणा के बिना पूरा नहीं कर सकता था।
संघर्ष फिल्म बच्चो का अपहरण करके उनकी बलि दे देने जैसे बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी और ऐसे में विलेन का बहुत ही खूंखार और मनोरोगी दिखाया जाना बहुत ही अहम था। आशुतोष के हाव भाव और गज़ब की लुक्स के कारण ये रोल उनके लिए सोने पे सुहागा साबित हुआ और फिल्म में अक्षय कुमार और प्रीती जिंटा जैसे बड़े कलाकारों के होने के बावजूद आशुतोष राणा ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर के खूब वाह वाही बटोरी। फिल्म में आशुतोष का बच्चे के अपहरण से लेकर अंत में उसकी बलि देने के लिए ज़ोर ज़ोर से मंत्रोचारण करने तक सभी कुछ इतना खतरनाक दिखता है जिसकी व्याख्या शब्दों में कर पाना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है।  मैं आज भी दावे से कह सकता हूँ की अगर आज भी आप इस फिल्म को रात में देखते हुए uncomfortable महसूस करते हैं तो इसका सारा श्रेय आशुतोष राणा जी को जाता है।

2. नसीरुद्दीन शाह (मिर्च मसाला-1987)

भारत के बेहतरीन कलाकारों की बात हो और नसीरुद्दीन शाह साहब का नाम न लिया जाए ऐसा मुमकिन ही नहीं है। नसीर साहब जैसे उम्दा कलाकार के बिना तो शायद ये लिस्ट भी अधूरी सी ही रहेगी। वैसे तो इन्होने अपने पूरे फ़िल्मी सफर के दौरान कईं बेहतरीन किरदार निभाए हैं। लेकिन 1987 मे आयी केतन मेहता द्वारा निर्देशित फिल्म मिर्च-मसाला में निभाया गया एक कठोर और अत्याचारी सूबेदार का किरदार भला कौन भूल सकता है।

 Hindi movie villains जिन्हे हम आज भी देखना पसंद करते हैं
इमेज सोर्स: (फिल्म मिर्च मसाला में नसीरुद्दीन शाह सूबेदार की भूमिका में)
गाँव वालो पर अपनी वर्दी का रोब झाड़ने से लेकर गाँव की महिलाओं पर बुरी नज़र रखने तक, इस लगभग दो घण्टे की फिल्म में आप इनके किरदार से खुद को नफरत करने से रोक नहीं पाएंगे। और तो और फिल्म के अंत में नसीर साहब के किरदार के साथ जो होता है उसे देख कर आप "इसके साथ ऐसा ही होना चाहिए था" कहे बिना शायद ही अपने आप को रोक पाए।
केतन मेहता द्वारा बनाई गयी ये फिल्म अपने आप में ही कला का बेजोड़ नमूना है। फिल्म की राइटिंग और स्क्रीनप्ले और उस पर बेहतरीन कलाकारों की अदाकारी का तड़का इसे मस्ट वॉच मूवी बनाता है। फिल्म में इस्तेमाल की गयी लोकेशंस और कपडे आपको घर बैठे बिठाये राजस्थान की संस्कृति और मिट्टी की याद दिलाता है। अगर आप  भारतीय सिनेमा का गौरवपूर्ण समय महसूस करना चाहते हैं तो आप एक बार इस फिल्म को ज़रूर देखिये, मैं दावे से कह सकता हूँ की आप इस फिल्म और नसीर साहब की अदाकारी को सराहे बिना नहीं रह पाएंगे।

1. सदाशिव अमरापुरकर (सड़क-1991)

हमारी  Hindi movie villains  की ये लिस्ट अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँच कर एक ऐसे अभिनेता पर आ रुकी है जिसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम ही है। हर इंसान के जीवन में एक ऐसा वक़्त ज़रूर आता है जब उसे अपने द्वारा की गयी बरसो के कड़ी मेहनत का फल भगवान ज़रूर देता है। हमारी इस लिस्ट में टॉप किया है सदाशिव अमरापुरकर जी के द्वारा फिल्म सड़क में निभाए गए किरदार महारानी ने।

1950 में महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में जन्मे सदाशिव अमरापुरकर जी को बचपन से ही एक्टिंग का बहुत शौंक था। लेकिन शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की एक दिन इसी शौंक की वजह से दुनिया उन्हें याद रखेगी। वैसे तो आपने सदाशिव अमरापुरकर जी को कईं फिल्मों में कॉमिक रोल निभाते देखा होगा जैसे आँखे, इश्क़ इत्यादि लेकिन जो लोग नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ फिल्मफेयर अवार्ड्स में जो बेस्ट विलेन केटेगरी का अवार्ड दिया जाता है उसके पीछे सदाशिव अमरापुरकर जी का बहुत बड़ा योगदान है।

 Hindi movie villains जिन्हे हम आज भी देखना पसंद करते हैं
इमेज सोर्स: (फिल्म सड़क में सदाशिव अमरापुरकर जी महारानी के किरदार में)

साल 1991 में आयी फिल्म सड़क में महारानी का किरदार निभा कर सदाशिव अमरापुरकर जी ने इस किरदार को अमर बना दिया। यही वो किरदार था जिसकी वजह से फिल्मफेयर अवार्ड्स में बेस्ट विलेन की केटेगरी बनाई गयी थी। महारानी एक बेहद लाजवाब किरदार था जिसे बहुत ही खूबसूरती और होशियारी से लिखा गया था। इस फिल्म को जब आप देखेंगे तब आपको पता लगेगा की कैसे महारानी जो एक ट्रांसजेंडर होने के साथ ही एक कोठे की मालकिन है और कैसे वो लोगो को पैसे का लालच देकर या उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए अपने जाल में फँसा कर अपने वेश्यावृति के गोरख धंधे को चलाती है और फिल्म के हीरो यानी संजय दत्त को नाको चने चबवा देती है।

अमरापुरकर जी ने अपनी अदाकारी के बलबूते इस किरदार में चार चाँद लगा दिए। सदाशिव जी की इस परफॉरमेंस को सिनेमा जगत की कुछ बेहद ख़ास पर्फोर्मन्सेस में शुमार किया जाता है। सदाशिव जी ने हिंदी सिनेमा के साथ साथ मराठी सिनेमा में भी खूब नाम और शोहरत कमाई। आज भी अगर कोई मुझसे विलेन की कल्पना करने को कहे तो ज़हन में सबसे पहले जो तीन नाम आते हैं उनमे से एक नाम स्वर्गीय सदाशिव अमरापुरकर जी का है।  आप भी ये फिल्म देखे और उनके इस किरदार को एक्सपीरियंस करें। 2014 में सदाशिव अमरापुरकर जी का 64 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।  आज बेशक अमरापुरकर जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके निभाए गए अनमोल किरदारों ने इतिहास के पन्नो में न भुलाया जा सकने वाला अपना नाम दर्ज करवा लिया है।

तो ये थे  मेरे द्वारा बनाई गई Hindi movie villains  की लिस्ट के वो पांच किरदार जिनके बेजोड़ और बेहतरीन काम की वजह से मैंने इन्हे अपनी लिस्ट में जगह दी है। होने को तो ऐसे बहुत से किरदार हैं जो शायद मैंने मिस कर दिए अगर आप का कोई चहेता किरदार हो जो मुझसे छूट गया हो तो मुझे कमेंट करके ज़रूर बताइयेगा मैं इस लिस्ट में आपके द्वारा सुझाये गए किरदार को आपके नाम के साथ यकीनन अपडेट करूँगा। अपना और अपने परिवार का ख्याल रखियेगा,  मिलते हैं अगले पोस्ट में तब तक के लिए नमस्कार।





































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