क्यों हैं ये पाँचों Best bollywood background music

 List of best bollywood background music

Best bollywood background music

मेरी इस Best bollywood background music की list को शुरू करने से पहले मै आप सब से पहले थोड़ी गुफ्तगू करना चाहता हूँ, आप में से शायद बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हे वाकई में लगता होगा की संगीत सिर्फ सुनने सुनाने भर की कला या मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि उस से भी बढ़कर कुछ है जिसे शायद शब्दों में बयान कर पाना आसान नहीं होगा। संगीत की चाशनी की मिठास तो बचपन से ही हमारे माता पिता हमारे कानों में घोलनी शुरू कर देते हैं फिर चाहे वो माँ की सुनाई गयी लोरी के सहारे सपनों के जहां में कदम रखना हो या पिता की गोद में खिलौना बनकर उनकी भारी आवाज़ में किसी नए या पुराने गाने के सुरो की ताल बिगड़ते देखना, संगीत और इंसान का नाता जितना अटूट है उतना ही विचित्र भी।

Best bollywood background music

अब फिल्म चाहे Bollywood हो या Hollywood  बिना किसी संगीत या Background music के किसी फिल्म की कल्पना करना बिना तड़के के फीकी दाल खाने के बराबर है। संगीत के ज़रिये एक चतुर निर्देशक अपने दर्शकों के मन की तारों को किस कदर और किस हद्द तक हिला सकता है ये बात मैंने आपको अपने द्वारा लिखे गए एक पोस्ट के माध्यम से बड़े ही सरल शब्दों का इस्तेमाल कर के पहले भी समझाने की कोशिश की है। अगर आपने वो पोस्ट नहीं पढ़ा है तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये।

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और तो और अगर आप लोग  भी मेरी तरह ही फिल्मों के शौक़ीन है तो मै ये बात दावे से कह सकता हूँ की आप के साथ भी बहुत बार ऐसा हुआ होगा की आपको किसी फिल्म का म्यूज़िक, कोई गाना या कोई बैकग्राउंड स्कोर (जिसे हम बैकग्राउंड थीम या Background music भी कहते हैं ) इतना पसंद आया हो की आपने कभी न कभी उस फिल्म के म्यूजिक के साथ खुद को कनेक्ट कर के अपने आप को उसी सिचुएशन में Imagine ज़रूर किया होगा। चलिए आपको मै ये बात एक  बड़े ही मज़ेदार अनुभव से समझाता हूँ।

बात उन दिनों की है जब फिल्म "INCEPTION"को उसके Background music के लिए खूब सराहा जा रहा था। उस समय इंटरनेट सर्विसेज भी इतनी ज़्यादा अच्छी नहीं थी  और मेरे पास उस समय कोई स्मार्टफोन नहीं बल्कि सोनी का एक WALKMAN फ़ोन हुआ करता था। खैर, जब मैंने वो फिल्म देखी तो पाया की उस फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक सच में काबिले तारीफ़ था। फ़िल्मी कीड़ा होने के नाते मैंने जैसे तैसे करके कहीं से उसे डाउनलोड कर लिया और फ़ोन की प्लेलिस्ट में add कर के भूल गया।

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2014 यानी लगभग 6 साल बाद मुझे किसी ज़रूरी काम से रांची के लिए दिल्ली एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़नी थी। मैंने कानों में अपना इयरफोन ठूसा हुआ था और Music player का शफल मोड ON कर रखा था। अक्सर ऐसा होता है की हम अपने फ़ोन की प्लेलिस्ट से कुछ गिने चुने गाने ही सुनते हैं जो एक के बाद एक लाइन से चलते चले जाते हैं और कुछ समय बाद बोर होकर हम म्यूजिक सुनना बंद कर देते हैं। लेकिन शायद शफल मोड का थोड़ा अलग हिसाब होता है उसमे रैंडम्ली कोई भी गाना प्लेलिस्ट से चलना स्टार्ट हो जाता है।

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अब मैं काउंटर पर जाकर बोर्डिंग पास जेनेरेट कराने पहुँचा तो अचानक से इन्सेप्शन मूवी का "TIME" बैकग्राउंड स्कोर चलना स्टार्ट हो गया और जिसने भी इन्सेप्शन मूवी देखी है वो ये बहुत अच्छे से जानता है की मूवी के अंत में जब पूरी स्टार कास्ट एक प्राइवेट प्लेन में सपने से जागती है और सभी  एयरपोर्ट से चेक आउट कर रहे होते हैं तो ये दमदार और रोंगटे खड़े कर देने वाला म्यूजिक भी पीछे बजता है। बस फिर क्या था उसी समय मै अपनी ख्यालो की दुनिया का Leonardo Dicaprio बन गया।

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सौजन्य: इन्सेप्शन| निर्देशक: क्रिस्टोफर नोलन
संगीत : Hans Zimmer 

मज़ाक से हट कर बात करूँ तो सच मानिये जितना अजीब आप लोगों को शायद ये सब पढ़ने में लग रहा होगा असल में ये सब उतना ही मज़ेदार और रोचक है। इस पूरे वाकये में फर्क बस इतना है की मैं एयरपोर्ट के अंदर जा रहा था और फिल्म में हीरो एयरपोर्ट से बाहर आ रहा था। खैर, अभी तो कोरोना की वजह से यातायात उतना ज़्यादा गतिशील नहीं हुआ है लेकिन जब भी आप लोग कहीं हवाईजहाज़ या मेट्रो से सफर करेंगे तब आप भी ऐसा एक बार ज़रूर कर के देखना।

मतलब बहुत साफ़ और सीधा है की फिल्म मेकिंग एक ऐसी सुन्दर माला है जो अलग अलग रंगो के फूलों से मिलकर बनी होती है और जिसमे हर रंग का अपना एक अलग महत्व है। सही सीन पर सही बैकग्राउंड म्यूजिक का बजना उस सीन की इमोशनल वैल्यू में चार चाँद लगा देता है। सोचिये क्या अवेंजर्स के assemble होने का वो सीन इतना ऐतिहासिक बन पाता अगर उस सीन पर टाइटैनिक जहाज़ के डूबने का background music चलाया जाता।

चलिए हॉलीवुड की तो बहुत बात कर ली अब आते हैं बॉलीवुड पर।  बॉलीवुड में भी कईं बार ऐसा हुआ है की किसी फिल्म का बैकग्राउंड थीम बहुत ही शानदार हो। इसमें बड़े बजट से लेकर छोटे बजट की मूवीज भी शामिल है। मेरी इस Best bollywood background music की लिस्ट में मैं आज उन फिल्मो को शामिल करूँगा जिनका  Background music न सिर्फ उन फिल्मों की जान था बल्कि आगे चलकर उनकी पहचान भी बना। यहाँ मैंने सिर्फ उन्ही फिल्मों को रखा है जो पिछले दो दशकों में बनी हैं। ये लिस्ट पूरी तरह मेरे विचारों की उपज है जो किसी अन्य व्यक्ति विशेष के विचारों से बिलकुल अलग हो सकती है।

शुरू करते हैं List of Best bollywood background music


5. एक दिन इस कुर्सी पर बैठ कर देखो, आटे दाल का भाव मालूम हो जायेगा 

हैडिंग पढ़ कर आप समझ ही गए होंगे की नंबर 5 पर मैंने किस फिल्म को रखा है। 2001 में आयी S.Shankar द्वारा निर्देशित फिल्म नायक- द रियल हीरो उनकी अपनी ही एक तमिल फिल्म Mudhalavan का रीमेक है। दोनों फिल्मो में इस्तेमाल किया गया म्यूज़िक एक ही है लेकिन अब जब बात बॉलीवुड की चल रही है तो नायक की ही बात करते हैं। जैसा की हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं की इस फिल्म में अनिल कपूर एक दिन एक लिए महाराष्ट्र राज्य का मुख्यमंत्री बनते हैं और उस एक दिन में ही अनिल कपूर कईं बड़े बड़े और प्रभावशाली बदलाव लाते हैं। फिर चाहे वो बदलाव राजनितिक तौर पर हों या सामाजिक तौर पर, सब कुछ देखना और सोचना आज 19 साल बाद भी अपने आप में ही एक बड़ा मज़ेदार अनुभव लगता है।

फिल्म का म्यूज़िक कम्पोज़ किया था A.R.Rahman साहब ने, तो ज़ाहिर सी बात है की Background music तो अच्छा होना ही था। फिल्म के अहम हिस्सों में आर्मी से Inspired बैकग्राउंड स्कोर का इस्तेमाल किया गया है।  न जाने क्यों लेकिन अनिल कपूर पर दर्शाये गए सभी सीन्स पर ये बैकग्राउंड म्यूज़िक बिलकुल फिट बैठता है और कई जगह तो फिल्म का Background music आपके रोंगटे खड़े कर देता है। Symphony orchestra इस्तेमाल का चलन अब धीरे धीरे कम होता जा रहा है लेकिन Sorround sound का जो effect Symphony orchestra में मिलता है वो लाजवाब है।

फिल्म का वो सीन जिसमे अनिल कपूर एक दिन का मुख्यमंत्री बनने की शपथ लेते हैं और सेक्रेटेरिएट के अपने दफ्तर में पूरी मीडिया और बड़े बड़े अफसरों समेत एंट्री लेते हैं। उसी क्षण हाई नोट्स के साथ सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए फिल्म का सबसे अच्छा बैकग्राउंड म्यूज़िक चलता है। रही सही कसर अनिल कपूर की स्लो मोशन में होने वाली दमदार एंट्री पूरी कर देती है।

अब क्योंकि फिल्म की शुरुआत से ही अनिल कपूर के किरदार (शिवाजी राव) को इतनी अच्छी तरीके से Develop किया जाता है की Audience के Point of view से देखा जाए तो हमारा इस किरदार से एक जुड़ाव महसूस करना स्वाभाविक है और उसकी ये कामयाबी हमें गर्व महसूस कराती है। नीचे दी गयी ऑडियो क्लिप को ज़रूर चलाकर देखिएगा।

Best bollywood background music


सौजन्य: फिल्म नायक-द रियल हीरो| निर्देशक-S.Shankar
संगीत: ए आर रहमान

4. तेरी कह के लूंगा

अब इस फिल्म के बारे में क्या ही बोलूँ, मेरे पास शायद इसकी तारीफ़ करते करते शब्द कम पड़ जाएंगे। इस फिल्म ने हमें दिखाया की मॉडर्न सिनेमा असल में किस बला का नाम हैं। बात है 2012 की, जहाँ उस समय भी बड़े बड़े स्टूडियोज कमर्शियल सिनेमा के तालाब में डूबकी लगा कर मोती की खोज में थे उस समय अनुराग कश्यप ने दिखाया की फिल्म का बजट चाहे कुछ भी क्यों न हो अगर फिल्म की कहानी और फिल्म के टेक्निकल पहलुओं पर जमकर मेहनत की जाए तो बिना किसी बड़ी स्टार कास्ट के भी एक कम बजट फिल्म को बखूबी बनाया जा सकता है। मै बात कर रहा हूँ गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के पहले भाग की जो हमारी इस सूची में चौथे पायदान पर है। ये फिल्म अनुराग कश्यप का एक महत्वकांशी प्रोजेक्ट था जिस पर वो काफी समय से शोध कर रहे थे।

2012 में इसका पहला भाग आया और उसे देखते ही पता लग गया की ये फिल्म अपने समय से बहुत आगे है। पहले भाग में हमें रामाधीर सिंह (जिसका किरदार निर्देशक तिग्मांशु धुलिया ने अदा करा है) जैसा आइकोनिक विलेन मिला और साथ में मिला सुल्तान खान जैसा दमदार किरदार (जिसे निभाया है मनोज बाजपाई ने) जिसने रामाधीर सिंह की ईंट से ईंट बजा कर रखी। फिल्म की कहानी पर मैं ज़्यादा बात नहीं करूँगा क्योंकि आप में से ज़्यादातर लोग इसे देख चुके होंगे और अगर नहीं देखी है तो आज ही देखिये क्योंकि अब तो ये मास्टरपीस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी मौजूद है।

अपने आप से पूछिए, क्या ये फिल्म देख कर आपको ये महसूस नहीं हुआ की इस फिल्म में जो किरदार दिखाए गए हैं उनसे मिलते जुलते बहुत से लोगों को आप रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अपने आस पास ही देखते हैं, उनसे बातें करते हैं, उनसे मिलते हैं। उस समय ये फिल्म देखने के बाद सच में ऐसा पहली बार लगा की कैसे कोई फिल्म इतनी परफेक्ट हो सकती है।

कहानी, किरदार, अभिनय, निर्देशन और हाँ Background music। वैसे तो फिल्म में अलग अलग जगह अलग अलग बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन फिल्म में ट्रम्पेट से बनाये गए लाजवाब बैकग्राउंड म्यूज़िक का इस्तेमाल शुरू से लेकर फिल्म के अंत तक बीच बीच में होता रहता है। इसी म्यूज़िक के और भी कईं रूप हैं जो अलग अलग Music instruments का यूज़ करके बनाये गए हैं। फिल्म का म्यूजिक दिया है स्नेहा खनवलकर और G.V. Prakash kumar ने।

सच पूछिए तो ये म्यूज़िक इतना इम्पैक्टफुल है की आप इसे सुनते ही कहीं न कहीं ये समझ जाते हैं की फिल्म की कहानी का सेंटर आईडिया वर्चस्व की लड़ाई, आपसी रंजिश और बदला होगा। साथ में पीयूष मिश्रा जी गहरी आवाज़ में किया गया Narration फिल्म में बताई जाने वाली कहानी में और ज़्यादा थ्रिल पैदा करता है।

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सौजन्य: गैंग्स ऑफ़ वासेपुर (निर्देशक अनुराग कश्यप)
संगीत: Sneha khanvalkar, G.V. Prakash kumar 

3. नैना काश मैं तुम्हे बता सकता, मैं तुम्हे कितना चाहता हूँ 

चलिए, मार काट और लड़ाई झगडे से दूर अब बात करते हैं दोस्ती, प्यार-मोहब्बत, जज़्बात और सैक्रिफाइस की, निखिल अडवाणी द्वारा निर्देशित ये फिल्म बड़े बड़े नामों से सुस्सजित थी। शाहरुख़ खान, प्रीति ज़िंटा, सैफ अली खान का फिल्म में होना ही फिल्म की कामयाबी की गारंटी माना जा रहा था। 2003 वो समय था जब फिल्मों को मॉडर्न और Larger than life दिखाने के लिए अमरीकी संस्कृति और रहन-सहन को शामिल किया जाने लगा। इतना बताने के बाद आप समझ ही गए होंगे की यहां कल हो ना हो की बात हो रही हैै 

उस समय इस फिल्म से जुड़े सभी लोग फिर चाहे वो एक्टर्स हों, डायरेक्टर हो या फिल्म के संगीतकार हों सभी अपने करियर के शीर्ष पर थे। ये पहला मौका था जब पहली बार किसी बड़ी फिल्म और वो भी करन जौहर के बैनर तले बनी किसी फिल्म में समलैंगिकता के कांसेप्ट पर हल्के फुल्के और गुदगुदाते अंदाज़ में रौशनी डाली गयी थी।

बात करें फिल्म की तो सच वो में लाजवाब थी और हमेशा रहेगी। धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म ने कईं बड़े अवार्ड्स अपने नाम करे और उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनकर सामने आयी। फिल्म का संगीत शंकर एहसान लॉय की तिगड़ी ने दिया था तो फिल्म के गानों को तो निसंदेह अच्छा होना ही था लेकिन संगीत के साथ साथ फिल्म का Background music भी इसी तिगड़ी ने दिया था जो आगे चल कर फिल्म की पहचान बना।

रियलिटी शोज़ हो या फ़ोन की रिंगटोन ये बैकग्राउंड म्यूज़िक दर्शकों के बीच अच्छा खासा पॉपुलर हो गया । कईं जगह तो ये शाहरुख़ खान की पहचान बन गया। दिल के धड़कने की आवाज़ और वुडेन पियानो का मेल कुछ इस कदर जमा की फिल्म के अंत में शाहरुख़ खान के मरने का सीन एक तरफ और पूरी फिल्म एक तरफ।शाहरुख़ Undoubtedly एक बहुत अच्छे एक्टर हैं पर मैं उनका फैन कभी नहीं रहा। लेकिन इस फिल्म के अंत में जो मैंने देखा उसने शाहरुख़ खान को लेकर मेरा नजरिया बदल दिया।

आगे आने वाले समय का तो पता नहीं लेकिन ये फिल्म शाहरुख़ खान की अब तक की कुछ सबसे बेहतरीन Performances में से एक है। और इस बैकग्राउंड म्यूज़िक के तो बस क्या ही कहने। जब भी ये म्यूज़िक कहीं बजता है तो दिमाग में बस सफ़ेद कपड़ो में बाहें फैलाये शाहरुख़ खान का चेहरा सामने आ जाता है और यही वजह है की ये बैकग्राउंड म्यूज़िक हमारी लिस्ट में नंबर तीन पर है।

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सौजन्य: कल हो न हो| निर्देशक: निखिल अडवाणी 
संगीत: शंकर-एहसान-लॉय 

2. कुछ नहीं बस यूँ ही

अक्सर ऐसा बहुत बार देखा गया है की एक बार अगर कोई फिल्म बन जाए तो उसका रीमेक उतना अच्छा नहीं बन पाता फिर चाहे वो फिल्म कितनी ही बड़ी क्यों न हो। 2007 मे आयी  राम गोपाल वर्मा की आग इसका एक जीता जागता सबूत है। किसी अच्छी फिल्म का रीमेक करने का मतलब है की फिल्म निर्माता, निर्देशक, स्टार कास्ट, संगीत इत्यादि के साथ साथ फिल्म की टेक्निकल टीम के का कंधो पर भी उम्मीदों का बोझ बढ़ जाना।

राम गोपाल वर्मा की आग 1975 की ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले का एक मॉडर्न रीमेक थी जिसके सिर पर दर्शक और आलोचकों दोनों की उम्मीदों का बहुत बड़ा बोझ था। फिल्म बड़े बड़े नामों से सजी हुई थी। लेकिन फिर भी बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ होते ही औंधे मुँह गिर पड़ी। फिल्म को हर डिपार्टमेंट में नकार दिया गया। न फिल्म का म्यूज़िक ही कोई कमाल कर पाया और न अमिताभ बच्चन का गब्बर ही इस फिल्म को बचा पाया।

खैर, डरिये मत हमारी इस लिस्ट में नंबर दो राम गोपाल वर्मा की आग तो बिलकुल भी नहीं है पर जिस फिल्म ने कब्ज़ा किया है न तो उसमे कोई बड़ी स्टार कास्ट थी और न ही किसी को इस बात से कोई फर्क पड़ रहा था की फिल्म का रीमेक अच्छा होगा या बुरा। बस जो बात इस फिल्म के हक़ में थी वो था भट्ट कैंप और टी-सीरीज जैसे ब्रांड्स का ठप्पा और फिल्म का कभी न भुलाया जा सकने वाले गाने।

2013 में आयी ये फिल्म रीमेक थी 1990 की सबसे बड़ी musical हिट आशिकी की। इसका निर्देशन का ज़िम्मा सौंपा गया था मोहित सूरी को। एक तो हिट फिल्म का रीमेक और वो भी दो नए चेहरों के साथ, सच में भट्ट कैंप एक बहुत बड़ा जूआं खेलने जा रहा था। ये फिल्म देखने वाली थी दो नए चेहरे आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर का डेब्यू।

1990 की आशिकी फिल्म का संगीत ही उसकी पहचान थी और आशिकी फिल्म के म्यूज़िक का नशा कुछ ऐसा चढ़ा की नदीम श्रवण की कामयाबी के साथ साथ राहुल रॉय भी रातो रात सुपरस्टार बन गए। इसलिए फिल्म के संगीतकारों (मिथुन, जीत गांगुली, अंकित तिवारी और राजू सिंह)पर भी फिल्म के संगीत को हिट कराने का दारोमदार था।

जैसी उम्मीद थी वही हुआ, फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही फिल्म का म्यूज़िक ऑडियंस के बीच ख़ासा पॉपुलर हो गया। फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही अरिजीत सिंह का गाया गया गाना "मेरी आशिकी बस तुम ही हो" सभी Chartbusters में नंबर 1 पर काबिज़ हो चुका था।

फिल्म के बाकी सभी गाने भी बहुत बड़े हिट साबित हुए। अब तो बस इंतज़ार था तो सिर्फ फिल्म के रिलीज़ होने का। फिल्म रिलीज़ हुई और जैसी सबको उम्मीद थी दर्शकों और आलोचकों ने फिल्म को खूब सराहा। श्रद्धा कपूर और आदित्य रॉय कपूर लिए ये उनका ड्रीम डेब्यू साबित हुआ। अब जब फिल्म इतनी अच्छी थी तो फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक तो अच्छा होना ही था।

फिल्म में कईं जगह अलग अलग Background music का इस्तेमाल किया गया लेकिन जो बैकग्राउंड म्यूज़िक इसकी पहचान बना वो था Arijit singh के गाये गाने "तुम ही हो" के नोट्स पर पियानो के साउंड के साथ बजने वाला म्यूजिक।

ये म्यूज़िक न ही सिर्फ फिल्म की इमोशनल intensity को बढ़ाता है बल्कि ऑडियंस को लीड कास्ट के characters के साथ कनेक्ट भी करता है। कईं जगह तो आप सिद्धार्थ और श्रद्धा की केमिस्ट्री को फिल्म मे इस्तेमाल बैकग्राउंड म्यूज़िक के ज़रिये बहुत अच्छे से महसूस कर पाते हैं।

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सौजन्य: आशिकी 2| निर्देशक: निखिल आडवाणी 
संगीत : मिथुन, जीत गांगुली, अंकित तिवारी 

1. आज तुम दौड़े नहीं हो, उड़े हो

एक समय था जब बायोपिक जैसे कठिन Genre पर फिल्में बनाना बहुत मुश्किल समझा जाता था कारण था एक बायोपिक फिल्म को बनाने में लगने वाली मेहनत। ऐसा नहीं है की किसी दूसरे टॉपिक पर बनाये जाने वाली फिल्मों में मेहनत नहीं लगती। लेकिन बायोपिक में डायरेक्टर के साथ साथ एक्टर को भी बेजोड़ मेहनत करनी पड़ती है और इस वजह से फिल्म का प्रोडक्शन Cost तो बढ़ता ही है साथ में फिल्म को बनाने में लगने वाला समय भी बढ़ जाता है।

लेकिन फिर भी बॉलीवुड में समय समय पर एक से बढ़कर एक कमाल की बायोपिक फिल्में बनीं और जिनमे से ज़्यादातर फिल्में पर्दे पर हिट साबित हुए। कुछ फिल्मों ने नेशनल अवार्ड्स अपने नाम किये। द लेजेंड ऑफ़ भगत सिंह (2002), गुरु (2007) आदि जैसी बेहतरीन फिल्मों ने हमें इन किरदारों के समर्पण और मेहनत से हटकर इनके जीवन की गहराई में डुबकी लगाने का मौका दिया। 2010 के बाद से बायोपिक फिल्म्स की परिभाषा बदलने लगी।

इस कड़ी में पहला नाम जुड़ा पान सिंह तोमर (2012) का जिसे तिगमांशु धुलिया ने बनाया था। मुख्य भूमिका में इरफ़ान खान साहब ने बड़ी ही खूबसूरती से पान सिंह तोमर का किरदार निभाया और  सभी के दिलों में जगह बनाने के साथ साथ नेशनल अवार्ड भी अपने नाम कर लिया। अब इस कड़ी में अगला बड़ा नाम जुड़ने जा रहा था भाग मिल्खा भाग का जो 2013  में रिलीज़ हुई। 2013 आते आते ये साफ़ हो चूका था की एक खिलाडी के जीवन पर फिल्म बनाना दर्शको और निर्माताओं दोनों के लिए ही फायदे का सौदा था।

पान सिंह तोमर की सफलता और उस पर की गयी मेहनत फिल्म इंडस्ट्री में एक बेंचमार्क सेट कर चुकी थी। अब चूँकि भाग मिल्खा भाग राकेश ओम प्रकाश मेहरा जैसे टैलेंटेड और अनुभवी निर्देशक की फिल्म थी जो पहले हमें रंग दे बसंती जैसी एक अच्छी और कामयाब फिल्म दे चुके थे तो फिल्म से उम्मीदें बढ़ना तो स्वाभाविक सी बात थी था। लेकिन किसे पता था की ये फिल्म रिलीज़ होने के बाद खुद ही एक नया बेंचमार्क सेट कर देगी।

फिल्म को दर्शकों और आलोचकों की जमकर तारीफ़ मिली। फिल्म ने लगभग हर बड़े अवार्ड को अपने नाम किया नेशनल अवार्ड हो या फिल्मफेयर हर जगह भाग मिल्खा भाग ने अपना परचम फहराया। फिल्म टेक्नीकली बहुत ही अच्छी बनी थी। फिल्म की Cinematography और स्क्रीनप्ले की जमकर तारीफ़ हुई। अब जब फिल्म इतनी अच्छी थी ही तो फिल्म का म्यूज़िक कैसे पीछे रह सकता था। फिल्म में संगीत का काम किया था शंकर एहसान लॉय की मशहूर तिकड़ी ने।

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक भी उन्होंने ने ही बनाया था जिसमे अलग अलग वैरिएशंस रखी गयी थी। लेकिन जिस बैकग्राउंड म्यूज़िक की मैं बात कर रहा हूँ वो आता है फिल्म के अंत में जब मिल्खा सिंह पाकिस्तान के खिलाडी को रेस में हराकर स्टेडियम में बैठे दर्शकों का अभिनन्दन करते हुए पूरे स्टेडियम में स्लो मोशन में चक्कर लगाता है और उसके साथ ही उसे अपना बचपन कदम से कदम मिला कर भागता हुआ दिखाई देता है। हालाँकि मुझे वो बैकग्राउंड म्यूज़िक कही नहीं मिला लेकिन उसका एक दूसरा Version मैंने आप लोगो के सुन ने के लिए add कर दिया है।

स्लो मोशन के साथ स्लो बैकग्राउंड म्युज़िक को इतने प्रभावशाली ढंग से visualize करना और अपनी कल्पना को दर्शकों के सामने परदे पर इतनी खूबसूरती से उतारने का सारा क्रेडिट निर्देशक को जाता है। और इसीलिए पहले स्थान पर भाग मिल्खा भाग के दो सबसे बेहतरीन थीम्स बैकग्राउंड थीम्स हैं। आँख बंद करके सुनिए और अनुभव करिये। 

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सौजन्य: भाग मिल्खा भाग | निर्देशन: राकेश ओम प्रकाश मेहरा
संगीत :शंकर-एहसान-लॉय 

Best bollywood background music की इस लिस्ट पर क्या है आपकी राय?

तो दोस्तों ये थी लिस्ट कुछ बहुत ही कमाल के Background music की जो पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड फिल्मों में दिया गया। बैकग्राउंड म्यूज़िक कहानी और परिस्थिति के साथ दर्शकों को जोड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। ये लिस्ट होने को तो बहुत लम्बी हो सकती थी और मेरे साथ साथ ये बात आप भी बहुत अच्छे से जानते हैं।

इस लिस्ट में मैंने सिर्फ उन्ही फिल्मों का चुनाव किया जिन्होंने मुझे मूवी वाचिंग का एक अलग और Immersive एक्सपीरियंस दिया। तो इस तरह THE END होता है मेरी इस Best bollywood background music की छोटी सी लिस्ट का। मुझे ये जानकर बहुत ख़ुशी होगी अगर आप लोग बताएं की इस लिस्ट में और कौन कौन से बैकग्राउंड म्यूज़िक को शामिल करना चाहिए था।

आप चाहे तो मुझे कमेंट कर के बता सकते हैं या अपने बहुमूल्य सुझाव देकर मुझे इस। मै आपके नाम के साथ आपके सुझाव को इस लिस्ट में ज़रूर अपडेट करने की पूरी कोशिश करूँगा। मिलते हैं अगले पोस्ट मे, तब तक के लिए नमस्कार। 
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